निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे....
(सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
"निरंतर" की कलम से.....: अर्थ का अनर्थ: आज अर्थ का अनर्थ हो गया मित्र से वार्तालाप वाकयुद्ध में बदल गया असहनशीलता ने जिव्ह्वा से नियंत्रण समाप्त कर दिया मुंह से...
No comments:
Post a Comment