निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे....
(सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
"निरंतर" की कलम से.....: मिलन की ललक: सूरज की लालिमा ने सुबह की मुनादी कर दी रात भर से क़ैद मन में असीम प्रेम लिए धरती से मिलन को आतुर नयी नवेली दुल्हन का श्रंगार कर स...
No comments:
Post a Comment