निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे....
(सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
"निरंतर" की कलम से.....: महकते फूल: चांदी सा चमकते चमेली के फूल को देखा काँटों की बीच सुर्ख लाल गुलाब को झांकते देखा हर सिंगार के नन्हे फूल को सुगंध फैलाते देखा...
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