निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे....
(सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
"निरंतर" की कलम से.....: ईमान का कटघरा: (जीवन दर्शन) ) पडोसी के घर पर लगे अमरुद के पेड़ से सड़क की ओर लटकते अमरुद को देखा तो मन लालच से भर गया स्वयं पर काबू ना रख पाया इ...
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