निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे....
(सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
"निरंतर" की कलम से.....: तरक्की की दीमक: ना वो मचलती गली ना मोहब्बत से लबरेज़ वो घर वहां पर ना खेलते कूदते बच्चों का नज़ारा दिखता वहां पर ना वो नीम का पेड़ बैठते थ...
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