यकीन
खुद पर नहीं रखते
इरादा
रोज़ मिलने का करते
आते आते
कहीं और चले जाते
कदम
कहीं और बढ़ जाते
हैरान हो
मालूम किया मैंने
पता
ठिकाने का पूंछा मैंने
इबादत खाने पहुँचते थे
दुआ खुदा से करते थे
पहले चोट खाए थे
फिर दिल ना टूटे
निरंतर
वादा उस से चाहते थे
03—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
1 comment:
Sunil Kumar ने आपकी पोस्ट " यकीन खुद पर नहीं रखते,इरादा रोज़ मिलने का करते " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
दिल न टूटने की दुआ खुदा से मांगते है बहुत खूब ..
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