Tuesday, March 1, 2011

वो मेरे दिल में रहते,मोहब्बत की आग निरंतर जलाए रखते


337—7-03-11
वो जीने का होंसला देते
कलम को रवानी
ख्यालों को नया आयाम देते
लबों को नए बोल देते
ख़्वाबों में कभी ना आते
ना कभी ज़मीं पर मिलते
वो मेरे दिल में रहते
मोहब्बत की आग
निरंतर जलाए रखते
दर्दों को मेरे पी लेते
खुदा से मेरे लिए दुआ
करते
हर लम्हा मेरा साथ
देते
01-03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर

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