कैसा ज़माना आ
गया है
लोग चाहते हैं
भीड़ में शामिल हो कर
भीड़ में शामिल लोगों की
वाही वाही करो
काले को सफ़ेद
सफ़ेद को काला कहो
धमकी देते हैं
नहीं करोगे तो भीड़ से
निकाल दिए जाओगे
इंसान कैसा भी हो
हमें सीधे सच्चे
लोगों की ज़रुरत नहीं है
हम ज़माने के साथ चलते हैं
हमें हाँ में हाँ
मिलाने वालों की ज़रुरत है
जो नहीं मिलाये
वो जात बाहर है
हमारे लिए बेकार हैं
लोग चाहते हैं
भीड़ में शामिल हो कर
भीड़ में शामिल लोगों की
वाही वाही करो
काले को सफ़ेद
सफ़ेद को काला कहो
धमकी देते हैं
नहीं करोगे तो भीड़ से
निकाल दिए जाओगे
इंसान कैसा भी हो
हमें सीधे सच्चे
लोगों की ज़रुरत नहीं है
हम ज़माने के साथ चलते हैं
हमें हाँ में हाँ
मिलाने वालों की ज़रुरत है
जो नहीं मिलाये
वो जात बाहर है
हमारे लिए बेकार हैं
20-76-13-02-2013
भीड़,ज़माना,कैसा
ज़माना आ गया ,भीड़
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
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