हमारे सम्बन्ध
नदी के दो किनारों
जैसे हो गए हैं
किनारे मिल भी नहीं सकते
संबंधों का बहता पानी
दोनों किनारों को
सामान रूप से छूता है
इस कारण
अलग भी नहीं हो सकते
अगर यही मनोस्थिति रही
स्वार्थ और घ्रणा से पानी
इस हद तक दूषित हो जाएगा
एक दिन दोनों किनारे
नदी के दो किनारों
जैसे हो गए हैं
किनारे मिल भी नहीं सकते
संबंधों का बहता पानी
दोनों किनारों को
सामान रूप से छूता है
इस कारण
अलग भी नहीं हो सकते
अगर यही मनोस्थिति रही
स्वार्थ और घ्रणा से पानी
इस हद तक दूषित हो जाएगा
एक दिन दोनों किनारे
टूट जायेंगे
हमारे सम्बन्ध भी
कभी ना बनने के लिए
नदी के पानी की तरह
बिखर जायेंगे
ऐसा हो उससे पहले आओ
एक कदम मैं बढाता हूँ
एक कदम तुम बढ़ाओ
अहम् को
हमारे सम्बन्ध भी
कभी ना बनने के लिए
नदी के पानी की तरह
बिखर जायेंगे
ऐसा हो उससे पहले आओ
एक कदम मैं बढाता हूँ
एक कदम तुम बढ़ाओ
अहम् को
मन से निकाल फैंको
बहते पानी को
रिश्तों का पुल समझ कर
दोनों किनारों को मिला दो
बहते पानी को
रिश्तों का पुल समझ कर
दोनों किनारों को मिला दो
08-64-04-02-2013
रिश्ते,सम्बन्ध,किनारे,नदी के किनारे ,जीवन
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
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