Tuesday, April 3, 2012

फैसला हो ना सका

एक फूल चमेली का
टहनी से जुदा किया
बालों में लगाऊँ
या कई फूल जोड़ कर
गजरा बनाऊँ
सोचते सोचते वक़्त
गुजर गया
फूल मुरझा गया 
इसे अपना बनाऊँ 
या उसे अपनाऊँ
फैसला हो ना सका
सोचते सोचते
ना ये मिला ना वो मिला
कुंवारापन बोझ बन गया
बुढापा आ गया
जीना दुश्वार हो गया
03-04-2012
427-07-04-12

No comments: