Monday, April 30, 2012

उधार की सांसें


तुम्हारी परेशानी
हमसे
देखी नहीं जाती
साँसों की घुटन
समझ नहीं आती
सदा हंसने वाला
आज रो क्यों रहा है
अब बहुत हो चुका
ग़मों का दौर
आंसू पोंछो और
उठ जाओ
उधार की साँसों पर
जीना छोड़ दो
सब्र और हिम्मत से
काम लो
सिर्फ खुदा पर यकीन
रखो
27-04-2012
476-57-04-12

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