Thursday, April 19, 2012

जाते जाते भी रह जाती हैं कुछ ख्वाहिशें…..


बेफिक्र,जीवन,
शांत ज़िन्दगी में
तूफ़ान मचाती हैं
ख्वाहिशें
सोते से उठाती हैं
ख्वाहिशें
हँसते को रुलाती हैं
ख्वाहिशें
मन का चैन छीनती हैं
ख्वाहिशें
ज़िन्दगी भर पूरी
होती नहीं हैं
ख्वाहिशें
जाते जाते भी
रह जाती हैं कुछ
ख्वाहिशें…..
19-04-2012
461-42-04-12

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