Tuesday, April 17, 2012

शांती भी नतमस्तक हो जायेगी


जब अपनों को अपनाओगे
शान्ति वहीँ पा जाओगे
कितना भ्रम है
मन को खुश रखने का
साधन है
किस को मिली है शांती 
जो तुम्हें मिल जायेगी
जीवन की गति 
यूँ ही चलती रही है
यूँ ही चलती रहेगी
प्रयत्न करते रहो
अपनों को अपनाते रहो
एक पकड़ में आयेगा
दूसरा छूट भागेगा
इस कशमकश में जीवन
गुजर जाएगा
अगर पानी है शांती
अपेक्षा करना छोड़ दो
जो है जैसा भी है
स्वीकारना प्रारम्भ करो
शांती भी नतमस्तक
हो जायेगी
तुम्हारे चरणों में गिर
जायेगी
बची खुची ज़िन्दगी
खुशी से गुजर जायेगी
17-04-2012
443-23-04-12

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