Friday, April 20, 2012

शायरी-दिल की राख


किसने कहा
हमारा  दिल टूट गया
दिल तो तभी  जल कर
ख़ाक हो चुका था
जब उन्होंने  हम पर
बेवफाई का
इलज़ाम लगाया था
अब जो आवाज़
तुमने सुनी
वो उस मर्तबान के
टूटने की थी
जिसमें हमारे
जले हुए दिल की
राख रखी थी
20-04-2012
467-48-04-12

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