उसे ज़िंदा ना रहने दो
नाम-ओ-निशाँ मिटा दो
वो सच बोलता
झूठ का पर्दाफ़ाश करता
ना रिश्वत लेता
ना रिश्वत देता
रस्मो रिवाज़ से परहेज़
रखता
उसे ज़िंदा ना रहने दो
वो सर उठा कर चलता
चोरों को सलाम नहीं
करता
जल में रहता बैर
मगरमच्छों से रखता
उसे ज़िंदा ना रहने दो
वो वतन की सोचता
स्वाभीमान से जीता
जात पात मज़हब,कौम,
में यकीन ना रखता
अमीर गरीब में फर्क
ना करता
उसे ज़िंदा ना रहने दो
वो ईमान भाई चारे का
पैगाम दुनिया को देता
चैन से रहना सिखाता
उसे ज़िंदा ना रहने दो
वो निरंतर सच्चाई के
रास्ते पर चलना सिखाता
इंसान को इंसानियत से
जीना सिखाता
उसे ज़िंदा ना रहने दो
13-06-2011
1041-68-06-11
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