भँवरा इतराता हुआ
बगीचे में आया
खूबसूरत फूलों को
खिले देख मुस्कराया
फूलों को
बगीचे में आया
खूबसूरत फूलों को
खिले देख मुस्कराया
फूलों को
कुटिल निगाहों से
देखने लगा
अपना शिकार ढूँढने लगा
उधर फूल सोच रहे थे
भँवरा उनकी ख़ूबसूरती देख
बाग़ में आया
फूल घमंड में इतराने लगे ,
अच्छे बुरे का ख्याल
भूल गए
भँवरे का निमंत्रण
ठुकरा ना सके
शिकारी को शिकार
मिल गया
भोलेपन में एक फूल
भँवरे के जाल में
अपना शिकार ढूँढने लगा
उधर फूल सोच रहे थे
भँवरा उनकी ख़ूबसूरती देख
बाग़ में आया
फूल घमंड में इतराने लगे ,
अच्छे बुरे का ख्याल
भूल गए
भँवरे का निमंत्रण
ठुकरा ना सके
शिकारी को शिकार
मिल गया
भोलेपन में एक फूल
भँवरे के जाल में
फँस गया
अपनी अस्मत लुटा बैठा
ख़ूबसूरती के घमंड में
निरंतर रोता रह गया
अपनी अस्मत लुटा बैठा
ख़ूबसूरती के घमंड में
निरंतर रोता रह गया
29-06-2011
1110-137-06-11
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