मिलो ना मिलो
मुझे तो रातों में जागना
पडेगा
मिलोगी तो दिल खुश होगा
कब जाने को कहोगी ?
ख्याल निरंतर परेशान
करेगा
जाओगी तो कब फिर
आओगी
जहन में सवाल आता
रहेगा
इब्तिदा-ए-इश्क़ में
हर नाज़ नखरा उठाना
पडेगा
आग में झुलसना पडेगा
मिलोगी तो
डर जुदायी का सताएगा
ना मिलोगी तो
याद में रोना पडेगा
13-06-2011
1043-70-06-11
(इब्तिदा-ए-इश्क़=प्रेमारंभ,मोहब्बत की शुरुआत)
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