Monday, June 13, 2011

इतवार की सुबह थी ,साप्ताहिक छुट्टी थी

 इतवार की सुबह थी
साप्ताहिक छुट्टी थी
देर से उठने का
बहाना थी
अनिच्छा से नींद उडी
  शरीर में सुस्ती थी
अब तक चाय नहीं आयी
इसलिए नौकर को
झाड पडी
अखबार की एक एक
लाइन पडी गयी
यार दोस्तों से
फ़ोन पर बात करी गयी
स्नान ध्यान हुआ
तेल मालिश करी गयी
घड़ी दोपहर की दो
बजा रही थी
डाइनिंग टेबल पर
पेट भराई हुई
फिर बिस्तर की राह
पकड़ ली
टीवी पर फिल्म देखने की
कोशिश करी
नींद से आँखें बंद हुयी
आँख खुली,
घड़ी पांच बजा रही थी
चाय के लिए आवाज़ लगाई
चाय आयी
पीते पीते खबरें सुनी गयी
शाम के छ बज गए
पत्नी ने ऐलान कर दिया
आज छुट्टी है
आज रात का खाना नहीं
बनायेगी
सिनेमा हॉल में फिल्म
देखी जायेगी
पेट पूजा होटल में होगी
फिल्म देखी गयी
पेट पूजा भी हुयी
रात लौटते लौटते
ग्यारह बज गयी
नींद आ रही थी
छुट्टी ख़त्म हुयी
कल फिर सुबह होगी
अगले इतवार तक
कांय कांय चलेगी
फिर छुट्टी होगी
आज की कहानी फिर
दोहरायी जायेगी
13-06-2011
1040-67-06-11

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