ना लाठी से ना गोली से
दबती है जनता
अती हो जाती
तब उठ खड़ी होती है
जनता
बड़ी से बड़ी फ़ौज से भी
नहीं डरती है जनता
क्या नारी क्या बच्चा
तगड़ा हो या कमजोर
लाख रोके कोई
रुक नहीं सकता
अपना हक के खातिर
सड़कों पर निकलता
निरंतर कुशासन से लड़ता
गर्मी,सर्दी,भूख,आराम
कुछ याद ना रहता
अत्याचार से मुक्ती के
खातिर
प्राणों की परवाह
ना करता
09-06-2011
1022-49-06-11
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