आज तक
समझ ना सका
क्यों लोग भीड़ की
तरफ भागते ?
वही करते जैसा सब
करते
अच्छे बुरे से सारोकार
ना रखते
विवेक,अनुभव को
तरफ भागते ?
वही करते जैसा सब
करते
अच्छे बुरे से सारोकार
ना रखते
विवेक,अनुभव को
महत्त्व ना देते
भीड़ पैमाना उनका
कुटिल भीड़ बनाते
किसी पार्टी का नाम देते
भोले निरंतर जाल में
फसते
प्रजातंत्र में उसे
जनता और चुनाव
कहते
कुटिल लुभावने वादे
करते
साम दंड भेद से चुनाव
भीड़ पैमाना उनका
कुटिल भीड़ बनाते
किसी पार्टी का नाम देते
भोले निरंतर जाल में
फसते
प्रजातंत्र में उसे
जनता और चुनाव
कहते
कुटिल लुभावने वादे
करते
साम दंड भेद से चुनाव
जीतते
सरकार बनाते
भोले निरंतर रोते
रहते
सरकार बनाते
भोले निरंतर रोते
रहते
29-06-2011
1111-138-06-11
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