सूखा फूल
गुलाब का भी कुछ
कहता है
रो रो कर कहानी
अपनी सुनाता है
कभी खिला हुआ था
खूब महकता था
हर देखने वाले को
लुभाता था
निरंतर इतराता था
उसे पता ना था
वक़्त एक सा नहीं
रहता
हर आने वाला
जाता है
भूल गया था
जीवन का सत्य
ऐसा होता
जो कभी अर्श पर
होता
उसे फर्श भी चूमना
पड़ता
16-06-2011
1055-82-06-11
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