लगता है
दिन सुनहरे ख़त्म
हो गए
खुशी के लम्हे सिर्फ
यादों में बचे
गम-ऐ-हयात याद
रह गए
कब हंसना ये भी
भूल गए
रोने की बात नहीं
फिर
भी निरंतर आंसू
निकल रहे
गम अब
आदत हो गए
चुप
रहना सिखा गए
अपने पराये सब
इकसार हो गए
06-06-2011
1010-37-06-11
(गम-ऐ-हयात= जीवन का दुख)
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