निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे....
(सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
"निरंतर" की कलम से.....: बरगद का पेड़: मेरे घर के बाहर लगा बरगद का पेड़ आकाश से गिरने वाली वर्षा की नन्ही बूंदों को पत्तों की गोद में लेकर उन्हें धीरे से धरती पर लुड्का ...
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