निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे....
(सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
"निरंतर" की कलम से.....: मन व्यथा मुक्त हो तो: वह दिन अच्छा नहीं लगता जिसमें सूरज तो चमकता है मगर रात का आभास होता है वह रात भी अच्छी लगती है जिसके घनघोर अँधेरे में भी उजाले का आ...
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