निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे....
(सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
"निरंतर" की कलम से.....: खुली जब आँख: खुली जब आँख तो जिसे भी अपना समझा वही पराया निकला फूलों की चाहत में दहकता हुआ अंगारा निकला सोचा था ज़िन्दगी भर साथ निभाएगा...
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