निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे....
(सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
"निरंतर" की कलम से.....: जीवन सत्य: मन की भावनाएं हो ह्रदय का प्रेम हो पेट में रोटी नहीं तो सिवाय भूख मिटाने के कुछ याद नहीं आता जीवन भावनाओं और प्रेम से अधिक आवश...
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