निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे....
(सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
"निरंतर" की कलम से.....: इंसान हूँ: इंसान हूँ समाज का हिस्सा हूँ मजबूरी में भीड़ के साथ रहता हूँ पर भीड़ से अलग चलता हूँ विवेक से सोचता हूँ त्रुटियों से सीखत...
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