निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे....
(सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
"निरंतर" की कलम से.....: परम्पराओं का संसार: काल बदला समय बदला नहीं बदला तो परम्पराओं का संसार नहीं बदला सदियों से जंजीरों में जकड़ा मान्यताओं का ताला नहीं खुला जीना कितना भी द...
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