निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे....
(सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
"निरंतर" की कलम से.....: त्वरित न्याय: छ महीने पहले किसी ने भीड़ भरे बाज़ार में उसके पती का क़त्ल कर दिया निश्चिंतता से हाथ में हथियार में लिए भीड़ में गुम हो गया ...
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