निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे....
(सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
"निरंतर" की कलम से.....: कैसे बताऊँ: कैसे बताऊँ तुम्हें कितना चाहता हूँ तुम इस कदर नफरत करने लगे हो गर सीना चाक कर भी दिल पर लिखा तुम्हारा नाम दिखा दूं तो भी ...
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