निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे.... (सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
Tuesday, July 23, 2013
"निरंतर" की कलम से.....: हास्य कविता-रिश्वत मांगना अब मेरा भी धर्म हो गया ह...
"निरंतर" की कलम से.....: हास्य कविता-रिश्वत मांगना अब मेरा भी धर्म हो गया ह...: सरकारी डाक्टर की पत्नी ने पति से बुखार की दवाई मांगी डाक्टर ने तुरंत फीस मांग ली पत्नी बिफर गयी झल्ला कर बोली कैसे इंसान हो ज़रा भी...
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