निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे....
(सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
"निरंतर" की कलम से.....: मन के बीहड़ में: मन के बीहड़ में जब बहम की दीमक पाँव फैलाने लगती हैं विश्वास के वृक्षों की जडें खोखली होने लगती हैं वृक्ष सूखने लगते हैं अव...
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