निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे....
(सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
"निरंतर" की कलम से.....: दिन हो या रात: दिन हो या रात पूनम हो या अमावस बसंत हो या सावन मन व्यथित है जीना कठिन है तब तक सब इकसार मेरे लिए 31-87-16-02-2013 व्यथ...
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