Saturday, June 4, 2011

तेरे बिना गुलशन वीरान हो गया

गम अब ज़िन्दगी में
घर कर गया
तेरे बिना गुलशन
वीरान हो गया
दिल कुछ नहीं कहता,
जहन खामोश हो गया
जिस्म अब
ज़िंदा लाश हो गया
निरंतर सजती थी
महफिलें जहाँ
सन्नाटा वहाँ अब
आम हो गया
अश्क बहाना अब
आदत हो गया
मोहब्बत के तराने
गूंजते थे जहाँ
मौत की रुदादें अब
ज़िन्दगी और मौत में
फर्क ख़त्म हो गया
तेरे बिना मैं अब
सिफ़र हो गया  
04-06-2011
997-24-06-11 
रूदादें = कहानियाँ ,कथाएँ,stories,
सिफ़र=शून्य,zero

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