Sunday, June 5, 2011

मुझे मोहब्बत मेरे तकिये से


मुझे मोहब्बत 
मेरे तकिये से
सुकून का
रिश्ता उस बेजुबां से
सुख दुःख में 
साथ मेरा देता
थकान में
उसे सिरहाने लगाता
मीठी नींद में सो 
जाता
स्वप्न लोक में खो 
जाता
दुःख में इसमें मुंह 
छुपाता
चुपचाप आंसू बहा 
लेता
कभी सर के
कभी कंधे के नीचे
निरंतर खामोशी से
साथ मेरा निभाता
कभी बाहर जाना होता
रात भर
याद दिलाता रहता
अपने तकिये के बिना
मुझे रात भर जागना
पड़ता
05-06-2011
1002-29-06-11

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