मेरे तकिये से
सुकून का
सुकून का
रिश्ता उस बेजुबां से
सुख दुःख में
सुख दुःख में
साथ मेरा देता
थकान में
थकान में
उसे सिरहाने लगाता
मीठी नींद में सो
मीठी नींद में सो
जाता
स्वप्न लोक में खो
स्वप्न लोक में खो
जाता
दुःख में इसमें मुंह
दुःख में इसमें मुंह
छुपाता
चुपचाप आंसू बहा
चुपचाप आंसू बहा
लेता
कभी सर के
कभी सर के
कभी कंधे के नीचे
निरंतर खामोशी से
साथ मेरा निभाता
कभी बाहर जाना होता
रात भर
निरंतर खामोशी से
साथ मेरा निभाता
कभी बाहर जाना होता
रात भर
याद दिलाता रहता
अपने तकिये के बिना
मुझे रात भर जागना
अपने तकिये के बिना
मुझे रात भर जागना
पड़ता
05-06-2011
05-06-2011
1002-29-06-11
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