Tuesday, October 18, 2011

कान्हा तो बस कान्हा हैं


कृष्णभक्त से किसी ने पूछा
कौन सा कान्हा अधिक अच्छा
राधा का या मीरा का
कृष्ण भक्त ने उत्तर दिया
मीरा कान्हा से मिली नहीं
साथ कभी रही नहीं
प्रेम में उनके पागल हुयी
सदा दरस को तरसती रही
फिर भी मन में बसाया उनको
कान्हा ने सदा लुभाया उनको
राधा निरंतर कान्हा से मिलती 
कान्हा के प्रेम में डूबी थी
सर्वस्व न्योछावर करती थी
फिर भी कान्हा की
एकमात्र प्रियतमा ना थी
जो भी ह्रदय से चाहता कान्हा को
कान्हा उसका हो जाता है
हर रूप कान्हा का अच्छा है
प्रेम का साक्षात रूप है कान्हा
एक रूप में अनेक रूप
अनेक रूपों का एक रूप
जिस रूप में देखो कान्हा को
कान्हा तो बस कान्हा है
कान्हा सब का प्यारा है
हर ह्रदय का दुलारा है
सच्चे मन से चाहा जिसने
उसका कान्हा अच्छा है
18-10-2011
1673-81-10-11

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