Wednesday, October 5, 2011

झुंझला रहा हूँ


अकेला हूँ
इसलिए झुंझला
 रहा हूँ
यादों के सहारे वक़्त
काट रहा हूँ
अपनी गुस्ताख़ियों पर
आँसूं बहा रहा हूँ
पुरानी चोटों को
सहला रहा हूँ
दिल के
बुझे हुए दिए को
जलाने की कोशिश में
निरंतर सहारा ढूंढ
रहा हूँ
05-10-2011
1614-22-10-11

No comments: