Thursday, October 20, 2011

सारे मौसम देख लिए



सारे मौसम देख लिए
 किस मौसम का अब  
इंतज़ार करूँ
बहारों को
खिजा में बदलते देखा
महकते फूलों को
मुरझाते देखा
अरमानों को निरंतर
टूटते देखा
हसरतें दम तोड़ चुकी
देखने की तमन्ना
बची नहीं
अब और सहने की
ताकत भी नहीं
सारे मौसम देख लिए
 किस मौसम का अब 
इंतज़ार करूँ   
20-10-2011
1680-87-10-11

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