Saturday, October 15, 2011

कुछ दिनों की ज़िन्दगी


कुछ दिनों की
ज़िन्दगी में
क्या क्या नहीं भरा
कुछ से प्यार
कुछ की यादें
कुछ से डर
कुछ से नफरत
हर मंज़र
हर राज़ इसमें छुपा
खुशी गम 
साथ साथ चलता
इंतज़ार
हर जान को रहता
हर इंसान
उम्मीद में जीता
निरंतर ज़िन्दगी से
तौबा करता
जीने की चाहत
फिर भी रखता
14-10-2011
1650-58-10-11

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