Friday, October 7, 2011

दिल की प्यास निरंतर अधूरी की अधूरी रही


बादल गरजे
बिजली चमकी
बरसात नहीं आयी
वो नज़र आयी
मुस्करायी
मन में हसरतें
जगायी
फिर ना जाने
कहाँ छुप गयी
मन का चैन
खो गया
रातों की
नींद उड़ गयी
दिल की प्यास
निरंतर अधूरी की
अधूरी रही
07-10-2011
1622-30-10-11

No comments: