Thursday, October 20, 2011

सहने के लिए खुद हूँ


सहने के लिए 
खुद हूँ
रोने के लिए कोई
कन्धा चाहिए
निरंतर
घुटता रहता हूँ
मन की बात कह 
सकूँ
कोई सुनने वाला
चाहिए
दो शब्द प्यार के
सुन सकूँ
ऐसा दोस्त चाहिए
सुकून से जी सकूँ
ऐसा 
सहारा चाहिए
19-10-2011
1675-83-10-11

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