Friday, October 14, 2011

गर जहाँ में गम ना होता


गर जहाँ में गम
ना होता
खुशी का क्या ख़ाक
अहसास होता
रोने हँसने में फर्क
पता ना पड़ता
ज़माने के दिलकश
समाँ का
गुमाँ ना होता
ज़मीन आसमाँ
एक दिखता
निरंतर
सहारे के लिए
कोई कंधा ना ढूंढता
मोहब्बत ,नफरत में
फर्क ना रहता
गर जहाँ में गम
ना होता
13-10-2011
1643-51-10-11

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