Monday, October 31, 2011

ताजिंदगी बंद आँखों से जीना चाहता हूँ


बंद आँखों में
ख्वाब देखने की
आदत हो गयी
उन्हें देखने की
अच्छी तरकीब
पता चल गयी
ख्वाब आते ही
वो नज़र आते हैं
खुलते ही लौट जाते हैं
अब आँखें खोलने का
मन नहीं करता
उनका चेहरा
जो नज़र नहीं आता
ताजिंदगी बंद आँखों से
जीना चाहता हूँ
किसी हाल में उन्हें
खोना नहीं चाहता हूँ
31-10-2011
1730-137-10-11

No comments: