Sunday, October 30, 2011

ना जाने कब तक कलम चलेगी


ना जाने कब तक
कलम चलेगी
चलेगी जब तक
खुल कर चलेगी
दिल-ओ-दिमाग की
मशक्कत लिखती
रहेगी
काले को काला
सफ़ेद को सफ़ेद
कहती रहेगी
सच का दामन
पकडती रहेगी
निरंतर
किसी को खुश
किसी को नाराज़
करती रहेगी
ना जाने कब तक
 कलम चलेगी ....
30-10-2011
1726-133-10-11

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