Thursday, February 28, 2013

मैं कठपुतली नहीं हूँ



मैं कठपुतली नहीं हूँ
जैसे चाहो नचा लो मुझ को
मैं मदारी भी नहीं हूँ
जैसे चाहूँ नचा लूं किसी को
मैं एक साधारण इंसान हूँ
नचाना चाहो तो प्यार से
नचा लो मुझ को
गले मिल कर अपना
बना लो मुझ को
मैं फिर भी किसी को
नचाना नहीं चाहूंगा
केवल अपना बना कर
रखना चाहूंगा
खुशी में साथ हंस लूंगा
दुःख में साथ रो लूंगा
सच्चे दोस्त की तरह
हर समय साथ निभाऊंगा
02-02-01-01-2013
प्यार .मोहब्बत ,कठपुतली
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर   

Wednesday, February 27, 2013

मैं कुंठित नहीं हूँ



मैं कुंठित नहीं हूँ
जो किसी से प्रशंसा की
आशा करूँ
किसी के आलोचना
करने पर क्रोध करूँ
किसी के पैमाने पर
खरा उतरने के लिए
सिद्धांतों से समझौता करूँ
मैं जैसा भी हूँ
वैसा ही हूँ
पर कुंठित हो कर
जीता नहीं हूँ
निरंतर लिखता रहता हूँ
खुश रहता हूँ
मन को संतुष्ट रखता हूँ
जो भी स्वीकार करे
उसे भी नमन
जो ना करे उसे भी
नमन करता हूँ
01-01-01-01-2013
कुंठित,संतुष्ट,संतुष्टि
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर