Wednesday, November 30, 2011

राधा बोली मीरा से


राधा बोली मीरा से
कान्हा संग रहती हूँ
निरंतर रास रचाती हूँ
लाख प्रेम में डूबो उनके
चाहे जितना प्रयास 
कर लो 
कान्हा तो बस मेरे हैं
मीरा ने
उत्तर दिया राधा को
कान्हा तो प्रेम के भूखे हैं
संसार के
कण कण में बसते
ना मेरे हैं,ना तुम्हारे हैं
जो भी ह्रदय में बसाए 
कान्हा को
कान्हा तो बस
उसके  हैं
30-11-2011
1831-96-11-11

बेगुनाह को गुनाहगार करार देते हैं


वादा कर के भी
वो नहीं आये
हमने सोचा नाराज़
हो गए
हम मन में कुढ़ते रहे
निरंतर
हकीकत जाने बिना
कयास लगाते रहे
उन्हें
भला बुरा कहते रहे
शर्म से गढ़ गए
जब पता चला
वो हादसे में घायल
हो गए थे
अस्पताल में
मौत से लड़ रहे थे
अब सोचते हैं
क्यों इंसान
हकीकत जाने बिना
अंदाज से 
ख्याल बनाते हैं
बेगुनाह को 
गुनाहगार करार 
देते हैं
30-11-2011
1830-95-11-11

आसां नहीं किसी अनजान पर यकीन करना


आसां नहीं
किसी अनजान पर
यकीन करना
उसकी
मीठी बातों से
बचना
दिल में छुपी
हकीकत को जानना
सलाम उनको जो
ना जानते हुए भी
हिम्मत से
यकीन कर लेते
निरंतर
अपने खुदा पर
ऐतमाद रखते
दगा के डर से
नए रिश्ते नहीं
बनाते
अनजान से भी
अपनेपन से मिलते
30-11-2011
1829-94-11-11
 (ऐतमाद=Faith,Confidence)

Tuesday, November 29, 2011

इश्वर भक्ती में डूबा रहा


प्यासे को
पानी नहीं पिलाया
भूखे को
भोजन नहीं कराया
निरंतर
इश्वर भक्ती में डूबा रहा
स्वर्ग के
सपने देखता रहा
परमात्मा ने
भक्ती का प्रसाद दिया
मरणोपरांत उसे
नरक में बसा दिया
29-11-2011
1828-93-11-11

क्या मुझ से पूछ कर,तुमने मुझे जन्म दिया ?



क्या मुझ से पूछ कर
तुमने मुझे जन्म दिया ?
दुनिया में लाने से पहले
तुमने किस से पूछा
बेटे ने ,पिता से
क्रोध में प्रश्न किया
व्यथित पिता से
रहा ना गया
आँखों में आंसू लिए
सहमते हुए उत्तर दिया
जब राम,कृष्ण,बुद्ध,
महावीर के पिता ने
किसी से नहीं पूछा
मैं किस से पूछता ?
मैंने केवल संसार के
नियम का पालन किया
परमात्मा की
इच्छा का सम्मान किया
अगर मुझे पता होता
तुम्हारे जैसी
संतान का पिता
कहलाना पडेगा
संतान के हाथों निरंतर
प्रताड़ित होना पडेगा
परमात्मा के नियम को
तोड़ देता
विवाह के बंधन में
कभी नहीं बंधता
इस तरह
अपने खून के हाथों
हर दिन तिल तिल कर
ना मारा जाता
तुम अपनी संतान से
पूछ कर उसे जन्म देना
वो पूछे तो
खुशी से सुन लेना
उत्तर में
उसे शाबाशी देना
29-11-2011
1827-92-11-11

क्षणिकाएं -8


बड़े अरमानों से
बड़े अरमानों से
हमने उन्हें फूल
भेंट किये
भोलेपन से वो
पूछने लगे
कहाँ से खरीदे ?
हमें भी किसी
ख़ास को देने हैं
बहुत शिद्दत से
बताने लगे
****
अन्धेरा
लोग घरों को रोशन
करते हैं
दिल-ओ-दिमाग में
अन्धेरा रखते हैं
****
मैं चाहूँ तो हो जाए
मैं चाहूँ हो जाए
कोई और चाहे
तो क्यों हो जाए
****
ज्यादा देने के लिए
ज्यादा देने के लिए
कम लेना सीखो
जो मिले उसे
खुशी से कबूल
कर लो
****
कुर्सी के लिए
सब कुर्सी के लिए
लड़ते
उससे कोई नहीं
पूछता
उस पर बैठने वाला
कैसा होना चाहिए
****
प्रेम की परिणीति
प्रेमियों के
प्रेम की परिणीति
प्रेमी प्रेमिका
दोनों की बेचैनी
****
देता इश्वर है
देता इश्वर है
खाते,पचाते,
भोगते,हम हैं
फिर कहते
हमारा है
****
सहानभूती
सहानभूती के
दो शब्द दिल को
राहत देते हैं
उसमें भी लोग
कंजूसी करते हैं
****
दुविधा
दुविधा मैं पैदा हुआ
दुविधा में जीता रहा
दुविधा में मर गया
करूँ ना करूँ
के जाल में फंसा रहा
****
सामंजस्य बिठाओ 
सामंजस्य बिठाओ 
नहीं तो विद्रोह करो
या फिर सहन करो
29-11-2011
1826-91-11-11

Sunday, November 27, 2011

हमसे रहा ना गया


हमसे रहा ना गया
उनकी तारीफ़ में
एक शेर पढ़ दिया
उन्होंने उसे
इज़हार-ऐ-मोहब्बत
समझ
हमसे मुंह फिरा लिया
कैसे समझाऊँ उन्हें ?
इज़हार-ऐ-मोहब्बत नहीं
इज़हार-ऐ-इज्ज़त थी
इज्ज़त बख्शना भी
गुनाह हो गया
हकीकत बयान करना
दर्द-ऐ-दिल बन गया
27-11-2011
1823-88-11-11

क्यों कहते हो ? मुझसे वादा करो


क्यों कहते हो ?
मुझसे वादा करो
कभी ना छोड़ोगे मुझको
मरते दम तक साथ दोगे
क्यूं बहम रखते हो?
हमारी मोहब्बत पर
यकीन रखो
फिर भी दिल ना माने तो
दुआ खुदा से करो
साथ देंगे तुम्हारा
जब तक खुदा चाहेगा
गर फैसला कर लिया
उसने
दुनिया से जाना हमको
सुकून हमें भी नहीं
मिलेगा
दिल हमारा भी रोयेगा
निरंतर
तुमसे मिलने का इंतज़ार
करता रहेगा
27-11-2011
1823-88-11-11

हास्य कविता-हँसमुखजी का पड़ोसी से झगडा हो गया


पतले दुबले हँसमुखजी का
मोटे गैंडे जैसे पड़ोसी से
झगडा हो गया
पड़ोसी ने उन्हें उड़ता हुआ
तिनका कह दिया
हँसमुखजी का
चेहरा लाल हो गया
उनका पुरुषत्व जाग गया
क्रोध में उन्होंने पड़ोसी को
धरती का बोझ करार दे दिया
पड़ोसी की पत्नी ने सुना,तो
वो भी मैदान में कूद पडी
पती को यथा शरीर तथा नाम
देने से बिफर गयी
पड़ोसी के बोलने के पहले ही
उसने हंसमुखजी को जवाब दे दिया
धरती के बोझ होगे तुम
हँसमुखजी की पत्नी कम नहीं थी
कोई महिला
उसके पती को कुछ कह दे
बर्दाश्त नहीं हुआ
उसने लपक कर पड़ोसी को
उड़ता हुआ तिनका कह  दिया
बस हाहाकार मच गया
पड़ोसन बोली ठीक से बात करो
इतने मच्छर जैसे भी नहीं हैं कि
इन्हें उड़ता हुआ तिनका कहो
बात बढ़ती गयी
दूसरा  पड़ोसी सारी बात
सुन रहा था
उससे रहा नहीं गया
वो बीच में कूदा,
दोनों को शांत किया
फिर हँसमुखजी की पत्नी से बोला
आप इन्हें उड़ता हुआ तिनका
मत कहिये ,
पड़ोसी की पत्नी को कहा
आप हँसमुखजी को
धरती का बोझ नहीं कहिये
दोनों में राजीनामा कराया
दोनों ने हाथ मिलाया
पहले रहते थे
निरंतर वैसे ही रहने लगे
लोग हँसमुखजी  को
उड़ता हुआ तिनका
पड़ोसी को
धरती का बोझ
कहने लगे
27-11-2011
1822-87-11-11

Saturday, November 26, 2011

राम -कृष्ण दोनों ने कहा



राम ने नहीं कहा
मंदिर में बिठाओ
मुझको
कृष्ण ने नहीं कहा
मंदिर में सजाओ
मुझको
राम -कृष्ण 
दोनों ने कहा
मंदिर की 
आवश्यकता नहीं 
हमको
निरंतर दिल में
बसाओ हमको
26-11-2011
1821-86-11-11

क्षणिकाएं -4


ओस
ओस
की बूँद जब तक
पिघलती नहीं
चमकती रहती
जीने का अर्थ
समझाती रहती
हम अब
 "मैं"में 
सिमट गए हैं 
दिल-ओ-दीमाग के
दरवाज़े 
बंद हो गए हैं 
रिश्वत
रिश्वत देना पाप है
लेना मजबूरी
वक़्त के साथ
चलना ज़रूरी है
नींद
नींद नहीं होती
तो कोई सोता नहीं
रातों को जागता नहीं


व्यस्तता
महीनों हो गए
पड़ोसी से मिले हुए
शहर के
लोगों से मिलने में
व्यस्त थे
जीवन- म्रत्यु
म्रत्यु क्या है ?
जीवन का अंत
जीवन क्या है ?
म्रत्यु का इंतज़ार
18-11-2011
1797-68-11-11