Thursday, November 10, 2011

भीड़ से घिरा हूँ फिर भी अकेला हूँ


भीड़ से घिरा हूँ
फिर भी अकेला हूँ
बिना आवाज़ का
साज़ हूँ
किसी अपने की 
तलाश में भटक
रहा हूँ
निरंतर अँधेरे में
उजाला
ज़िन्दगी में
सुर ढूंढ रहा हूँ
कोई समझ सके
मुझको
ऐसा दोस्त खोज
रहा हूँ
09-11-2011
1765-33-11-11

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