आज अचानक
नानी की तस्वीर हाथ
आ गयी
मेरी बचपन की यादें
ताज़ा हो गयी
नानी का
सुन्दर गोरा चेहरा
आँखों के सामने आ गया
लगा अब उनकी
मीठी झिडकी सुनने का
समय आ गया
इतने दिन याद क्यों
नहीं किया ?
मुझको कैसे भूल गया?
पूछने वाला है
अब फिर कभी ऐसा
नहीं करने की नसीहत
मिलने वाली है
नानी ने ना झिड़का
ना उल्हाना दिया
ना ही कोई सवाल पूछा
स्नेह से सर पर हाथ रखा
फिर केवल इतना सा कहा
मुझे पता है
बहुत व्यस्त रहता है तूँ
पर कभी मुझे भी याद
कर लिया कर
मैं ऊपर से निरंतर तुझे
देखती हूँ
खूब खुश रहे जीवन में
तेरे लिए दुआ करती हूँ
मैं खामोशी से नानी को
देखता रहा
उनकी बातें सुनता रहा
मन उनकी गोद में
छुपने का करना लगा
नानी से माफी मांग लूं
उनसे कह दूं
फिर ऐसा कभी नहीं
करूंगा
तभी माँ की आवाज़
मुझे नानी की यादों से
बाहर ले आयी
माँ कह रह थी
आज मेरे सपने में नानी
आयी थी
सब बच्चों के बारे में
पूछ रही थी
साथ ही कह रही थी
आज कल बच्चे पुरखों को
याद क्यों नहीं करते ?
क्यों सिर्फ अपने में खोये
रहते हैं ?
ये संस्कार तो बड़ों ने
कभी नहीं दिए
फिर स्वार्थ से इतना
कैसे भर गए ?
24-11-2011
1812-83-11-11
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