Wednesday, November 23, 2011

कैसे कहूं उनसे ? (मार्मिक -हास्य )




बुधवार, २३ नवम्बर २०११

कैसे कहूं उनसे ?
बगीचे में
रोज़ क्यों नहीं आती
क्यों कई दिन बाद
झलक अपनी दिखलाती
जब भी उन्हें देखता
मन करता
 दौड़ कर गले से
लग जाऊं
कैसे अहसास दिलाऊँ ?
उनका यूँ
कई कई दिन तक
नहीं दिखना
दिल में कितनी बेचैनी
पैदा करता 
ना सो पाता,ना जाग पाता
उन्हें देखने की ख्वाइश
क्या नहीं करवाती मुझसे
कैसे समझाऊँ
क्या नहीं
भुगतना पड़ता मुझको
आज दिख जाएँ शायद
उम्मीद में
भरी दोपहर धूप में भी
बगीचे में पहुँच जाता
बगीचे का माली शक से
मुझे देखता
कोई फूल चुराने वाला
समझता
मोहल्ले के लोग
मुझे लफंगा समझते
मेरी तरफ 
ऊंगली दिखा कर
दूसरों को बताते
कई बार सोचा उनसे
कह ही दूं
मगर हिम्मत ना
कर सका
कुछ भी हो जाए
इस बार होंसला रख
बता ही दूंगा
उनकी सूरत मेरी
दिवंगत माँ से मिलती
उनमें मुझे मेरी माँ
नज़र आती
23-11-2011
1809-80-11-11

No comments: