Sunday, November 20, 2011

क्षणिकाएं -5



मंजिल

मंजिल की तलाश में

ज़िन्दगी गुजर जाती

मिलती किसी को नहीं

*****
चिंतन


चिंतन
बिना जीवन नहीं

जीवन
बिना चिंतन नहीं

एक आगे आगे

दूजा पीछे पीछे
*****
सत्य सुनना


दूसरों का

सत्य सब सुनना
चाहते

खुद का सत्य

छुपा कर रखना

चाहते
*****
सत्य कहना


सत्य जानते हैं

कहने से पहले
तोलते हैं
कहूँ ना कहूँ
के भंवर में

डोलते हैं
*****
बच्चे- बड़े

बच्चे चाहते
बड़े हो जाएँ
बड़े चाहते
बच्चे बन जाएँ
*****
बचपन-बुढापा

बड़े बचपन को
भूल नहीं पाते
बच्चे बुढापे को
समझ नहीं पाते
*****
19-11-2011
1800-71-11-11

No comments: